महाविद्यालयों में इस वर्ष खानापूर्ति के लिए परीक्षाएं आयोजित हो रही है और इसी के नाम पर हंगामा बरपा हुआ है। कोरोना संक्रमण रोकने के नाम पर जिन परीक्षाओं को पांच से छह महीने आगे बढ़ाया गया, अब उसी प्रयास में संक्रमण को निमंत्रण दिया जा रहा है। इन दिनों अंतिम वर्ष और प्राइवेट परीक्षाओं के लिए कॉलेज में उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण किया जा रहा है। हालांकि विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर ऑनलाइन उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध है लेकिन फिर भी अधिकांश परीक्षार्थी उत्तर पुस्तिका हासिल करने कॉलेज पहुंच गए। पिछले तक दिन तक अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका देने के बाद बुधवार से प्राइवेट परीक्षार्थियों के लिए उत्तर पुस्तिका देने की बात कही गई थी। यही कारण है कि दूरदराज के छात्र भी शासकीय जेपी वर्मा कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय यानी फुटहा कॉलेज पहुंच गए लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उत्तर पुस्तिका बांटने से मना कर दिया।
कॉलेज प्रिंसिपल ज्योति माला सिंह का दावा है कि उनके पास कर्मचारियों की कमी है और उस पर कार्य का अतिरिक्त बोझ लाद दिया गया है। मंगलवार तक उत्तर पुस्तिकाओं के वितरण के बाद कोरोना से बचाव के लिए कॉलेज को सैनिटाइज किया जाना जरूरी था, इसीलिए बुधवार को उत्तर पुस्तिका वितरण स्थगित किया गया । लेकिन यह जानकारी होते ही यहां पहुंचे छात्र हंगामा मचाते हुए नारेबाजी करने लगे । जिसके बाद छात्रों के आगे झुकते हुए कॉलेज प्रबंधन को उत्तर पुस्तिका वितरण के लिए राजी होना पड़ा और कुछ घंटों के विलंब के बाद उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण आरंभ हुआ। प्रिंसिपल का कहना है कि उन्हें बेहद कम समय में बहुत बड़े कार्य बोझ का सामना करना पड़ रहा है। जिस कारण से सारी अव्यवस्था फैल गई है। वहीं उन्होंने कहा कि वेबसाइट पर उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध होने के बावजूद भी छात्र ऑनलाइन उत्तर पुस्तिका हासिल करने की बजाय कॉलेज जाकर खुद भी परेशान हो रहे हैं और कॉलेज कर्मचारियों को भी परेशान कर रहे हैं। इस दौरान जो सबसे हैरान करने वाली तस्वीरें रही ,वह यह कि उत्तर पुस्तिकाएं हासिल करने के नाम पर यहां सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ा दी गई। अधिकांश छात्र छात्राओं ने मास्क तक नहीं पहन रखा था। वही वे भीड़ भाड़ में आपस में धक्का मुक्की करते भी नजर आए। अगर इनमें से कोई भी संक्रमित हुआ तो फिर बड़े पैमाने पर कोरोना फैल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो फिर पांच महीने की तपस्या बेअसर साबित होगी। वैसे भी उत्तर पुस्तिकाएं हासिल करने के बाद छात्र छात्राओं को आराम से किताब देख कर नकल करते हुए ही परीक्षा देनी है ।
खानापूर्ति के नाम पर ली जा रही इस परीक्षा को लेकर इतनी अव्यवस्था देखकर यही कहा जा सकता है कि इससे तो बेहतर था कि सभी को जनरल प्रमोट कर देते या फिर मार्च-अप्रैल में ही यह परीक्षाएं पूरी कर ली जाती।