बिलासपुर: टिकट काउंटर पर बैठने वाली महिला कर्मचारियों भारी लापरवाही उजागर, चलती ट्रेन में हुआ विवाद…

बिलासपुर शिवा गोरख

बिलासपुर| 22 जुलाई को रात 10:00 बजे जांजगीर चांपा के भागीरथ विश्वकर्मा नामक व्यक्ति ने गीतांजलि एक्सप्रेस से कल्याण जाने के लिए टिकट काउंटर नंबर 3 से करंट रिजर्वेशन कराया था। जो बर्थ टिकट पर था, उस पर बैठकर वे नागपुर तक पहुंच भी गए, लेकिन नागपुर पहुंचने पर उसी बर्थ पर दूसरा यात्री भी पहुंचा और फिर विवाद होने लगा तो मामले में टीटीई ने दखल दी और दोनों की टिकट जांची तो नागपुर से बुकिंग की गई टिकट वाले यात्री का नाम व पीएनआर नंबर चार्ट पर दिखाई दे रहा था , लेकिन बिलासपुर से जारी टिकट चार्ट में नहीं दिख रही थी। इस कारण से चलती ट्रेन में विवाद होता रहा। बिलासपुर के यात्री के पास जो टिकट था उसका स्क्रीनशॉट वाला प्रिंट था, इसलिए टीटीई को उस पर संदेह हुआ और भागीरथ को भुसावल आरपीएफ के हवाले कर दिया गया । आरपीएफ 25 जुलाई को भागीरथ को लेकर बिलासपुर पहुंची और पूरे मामले का खुलासा हुआ।

जब इस मामले की जांच की गई तो बिलासपुर में टिकट काउंटर पर बैठने वाली महिला कर्मचारियों की भारी लापरवाही उजागर हुई। अधिकारियों ने पाया कि 22 जुलाई की रात ड्यूटी पर उपस्थित 3 महिला कर्मचारियों ने यह गड़बड़ी की है। टिकट काउंटर पर बैठी डी निहारिका राव के पास भगीरथ टिकट बनाने के लिए काउंटर पर पहुंचा था बताया जा रहा है कि निहारीका की आईडी काम नहीं कर रही थी, इसलिए उसने अपने सहयोगी पी सीमा की आईडी का इस्तेमाल टिकट बनाने के लिए किया। टिकट बना कर उसने यात्री को दे दिया। इसके बाद दोनों क्लर्क ड्यूटी ऑफ होने के बाद काउंटर की राशि कैशियर निम्मी सोना कांति के पास जमा करा चलती बनी। अपनी ड्यूटी खत्म होने के समय निम्मी सोना ने पैसे गिनने के बाद सिस्टम में चेक किया तो देखा कि कुछ राशि अधिक है। उन्होंने अतिरिक्त राशि को छोड़कर शेष पैसा जमा करा दिया। दूसरे दिन उन्होंने अतिरिक्त राशि भी जमा कराई। इधर दूसरे दिन अतिरिक्त राशि जमा कराने से तीनों महिलाओं की गतिविधियां संदिग्ध बन गई। पहले तो सहयोगी कर्मचारी की आईडी का इस्तेमाल और फिर रोज के कैश को दो टुकड़ों में जमा करने से मामला पूरी तरह संदिग्ध बन गया है।

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जिसके बाद सीनियर डीसीएम पुलकित सिंघल ने क्लर्क डी निहारिका राव, बुकिंग क्लर्क पी सीमा और कैशियर निम्मी सोना कांति को सस्पेंड कर दिया है। यह कहना मुश्किल है कि यह गलती इन महिला कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से हुई है या फिर इन्होंने जानबूझकर यह घोटाला किया है ,लेकिन इसकी सजा तीनों को मिली है। ऊपरी तौर पर देखने पर यह पता चल रहा है कि निहारिका ने यात्री की मदद करने के लिए ही सहकर्मी का आईडी इस्तेमाल किया जबकि इस मामले में सीमा की भूमिका कहीं नजर नहीं आती। वही निम्मी सोना ने भी पहले दिन शायद अतिरिक्त राशि इसलिए जमा नहीं की क्योंकि वह तसल्ली कर लेना चाहती थी कि यह राशि किस वजह से बढ़ी है, लेकिन अगर उनकी नियत में किसी तरह की खोट होती तो शायद वह अगले दिन भी यह राशि जमा नहीं करती। जाहिर है अनजाने में ही तीनों महिला कर्मियों से यह गलती हुई होगी लेकिन इस लापरवाही की सजा अब उन्हें भुगतनी पड़ रही है। वैसे तो इस मामले में भागीरथी भी बेगुनाह थे जिन्हें भी बेवजह इस आफत का सामना करना पड़ा।

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