कोटा विकासखंड के 35 किसानों ने प्रशासन से मांगी ईच्छा मृत्यु. एसडीएम को ज्ञापन सौपकर मुआवजे की लगाई गुहार
मामला कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत रिगवार के नजदीक खोन्द्रा बाँध में निर्मित इस नहर का है जिसका निर्माण 10-11 वर्ष पूर्व कराया गया था। यह बांध रिगवार से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर में स्थित है। विभाग की योजना इस बांध के आसपास स्थित पूरे गांव के किसानों को खेत की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की थी। नहर निर्माण के लिए शासन ने 35 किसानो की जमीन भी अधिग्रहित की थी। सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद से किसानों में भी उत्साह था। बांध व नहर निर्माण पूर्ण होने के बाद किसान खेत तक पानी पहुंचने का इंतजार करने लगे। लेकिन 10 साल के बाद भी किसानों का यह इंतजार खत्म नहीं हुआ है। उनके गांव में सिंचाई और राजस्व विभाग के अधिकारी पहुंचे थे। अधिकारियों ने उनसे नहर की स्थिति और उनसे अधिग्रहित की गई जमीन के संबंध में जानकारी ली। इसके मुताबिक इस दौरान अधिकारियों ने ग्रामीणों को मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने का आश्वासन दिया था। इससे सालों से मुआवजा और पानी का इंतजार कर रहे लोगों में उम्मीद की किरणें जागी थीं। लेकिन 10साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद इस मामले में कार्रवाई आगे ना बढ़ने से किसान व जमीन गंवाने वाले ग्रामीणों में निराशा व्याप्त है। इन लोगों की शिकायत हेै कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में उनकी सहायता के लिये आगे नहीं आ रहे हैं।वही आज कोटा एसडीएम को आवेदन सौंपकर किसानों ने 15 दिन के अंदर मुआवजा नही मिलने पर इच्छा मृत्यु की भी माँग की है ।देखना है कि किसानों को इनकी जमीन का मुआवजा मिलता है या फिर ईच्छा मृत्यु की मांग प्रशासन द्वारा पूरी की जाती है।एक ओर राज्य सरकार लोक सुराज अभियान जैसा ढकोसला कर पूरे प्रदेश को समस्या मुक्त बनाने का दावा करती है वहीं ईच्छा मृत्यु मांगने वाले रिगवार के किसान इस दावे को पूरी तरह झुठलाते नजर आते हैं।