गुजरात माडल के आधार पर चुनाव लड़ेगी भाजपा.28 से 30 सीटिंग विधायकों का टिकट कटना तय
बिलासपुर… विनय मिश्रा छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बज चुका है। 12 नवंबर और 20 नवंबर दो चरणों में छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे। भाजपा का दावा है कि चौथी बार सरकार उनकी बनेगी,तो कांग्रेस भी कमर कसकर तैयार है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के रमन सिंह पिछले 15 सालों से सत्ता पर काबिज हैं। चौथी पारी के लिए भाजपा पिछले तीन बार से अपनाए जा रहे फार्मूले का ही अनुसरण करने की तैयारी में हैं। साल 2003 में पहली बार भाजपा की रमन सिंह सरकार अस्तित्व में आई थी, उसके बाद से अब तक इस आदिवासी बहुल राज्य में भाजपा की ही सरकार बनती रही है। साल 2003 के पहले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 90 सदस्यों वाली विधान सभा में 51 नए चेहरों पर दांव खेला था। इनमें से 28 जीतकर विधान सभा पहुंचे थे। अन्य 49 पुराने चेहरों में से 22 जीते थे। इस तरह भाजपा के कुल 50 विधायक जीते थे और तब रमन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। साल 2008 में जब दूसरी बार विधान सभा चुनाव हुए तब भाजपा ने 50 में से 20 विधायकों का टिकट काट दिया। पार्टी ने 44 नए चेहरों को मैदान में उतारा। इनमें से 23 जीतकर विधान सभा पहुंच गए जबकि पुराने 46 चेहरों में से 27 चेहरे दोबारा जीतकर सदन में पहुंचे। साल 2013 के विधान सभा चुनाव में भी भाजपा ने 36 नए चेहरों पर दांव खेला था और 14 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया था। इनमें से 20 नए चेहरे जीतकर विधान सभा में पहुंचे जबकि 54 पुराने चेहरों में से 29 जीतकर आए। 2013 में भाजपा को कुल 49 सीटें मिली थीं। इस जीत के साथ रमन सिंह सरकार ने हैट्रिक लगाई थी। भाजपा ने सबसे पहले गुजरात में सीटिंग विधायकों का टिकट काटने और नए चेहरों को मौका देने का सफल प्रयोग साल 2002 के विधान सभा चुनाव में किया था। इसके बाद पार्टी ने अगले ही साल इसे छत्तीसगढ़ में दोहराया। 2003 से भाजपा हर बार इसी फार्मूले का प्रयोग करते हुए करीब 40 से 50 फीसदी विधायकों का टिकट काटकर उनकी जगह नए चेहरों को तरजीह देती है। टिकट काटने का आधार विधायकों का रिपोर्ट कार्ड और जनता के बीच छवि से जुड़ा होता है। भाजपा गुजरात मॉडल की दूसरी रणनीति भी कई राज्यों में अपना चुकी है। इनमें एक प्रमुख रणनीति पन्ना प्रमुख की है, जिसमें मतदाता सूची के हरेक पन्ने के लिए एक प्रमुख की नियुक्ति की जाती रही है। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक चुनावों में भाजपा ने इसका भी सफल प्रयोग किया है। आगामी एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावों में पन्ना प्रमुख की रणनीति भी भाजपा अपना रही है इस लिहाज से यह तय हैं की वर्तमान विधायकों में से कम से कम 28 विधायको की टिकिट कटना तय हैं । इस बार खास बात यह हैं की अमित शाह न तो किसी की सुन रहें है ओर न मान रहें हैं वे सिर्फ अपनी सर्वे रिपोर्ट को महत्व दे रहें हे़ ओर टिकिट भी इसी आधार पर तय की जायेगी।हालांकि सी वोटर के चुनावी सर्वे मे भाजपा को 40 और कांग्रेस को 47 सीट मिलने की बात कही गई है।