बिलासपुर हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी

बिलासपुर/ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि यदि नाबालिग लड़की को बच्चे को जन्म देने के लिए विवश किया गया, तब उसे जीवनभर शारीरिक व मानिसक पीड़ा सहनी पड़ेगी। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गर्भपात कराने का आदेश दिया है। इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर चार सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। टीम ने 12 जुलाई को कोर्ट में मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें बताया गया कि गर्भ 20 सप्ताह से अधिक नहीं है। ऐसे में गर्भपात कराया जा सकता है। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने का आदेश दिया है। साथ ही भ्रूण का डीएनए भी संरक्षित रखने को कहा है।
चिकित्सकों को पीड़िता के स्वास्थ्य की देखभाल व आवश्यकता अनुसार इलाज की सुविधा देने का भी आदेश दिया है। कोरबा जिले की दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग गर्भवती हो गई। लिहाजा पीड़िता ने मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट के प्रविधान का हवाला देते हुए गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी। जस्टिस भादुड़ी ने प्रकरण में दिए गए अपने फैसले में कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता को बच्चे को जन्म देने के लिए विवश किया जाता है तो उसे जीवनभर शारीरिक व मानसिक पीड़ा सहनी पड़ेगी।
पीड़िता के साथ ही जन्म लेने वाले बच्चे को भी सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता को गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति का अधिकार है। कोर्ट के आदेश पर पीड़िता का गर्भपात कराने के लिए कोरबा के शासकीय अस्पताल में बुधवार को भर्ती कराया गया है।

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