छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू तेजी से बढ़ रहा है बिलासपुर शहर मे अब तक 5 लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई है ।

बिलासपुर शहर के एक निजी अस्पताल में स्वाइन फ्लू से संक्रमित महिला पहले उपचार के लिए भर्ती होती है और बाद में बिना किसी को सूचना दिए लापता हो जाती है । स्वाइन फ्लू से संक्रमित महिला मरीज 2 दिनों से लापता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कार स्वाइन फ्लू से संक्रमित मरीज को ऐसे ही कैसे बिना पूरा उपचार किए जाने दिया जा सकता है इस मरीज के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को स्वाइन फ्लू के संक्रमण का खतरा है वहीं पर्याप्त उपचार नहीं मिलने से उनकी मौत भी हो सकती है। वहीं अब इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जिन्हें उसकी तलाश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उनका कहना है कि मरीज ने अपनी मर्जी से अस्पताल में उपचार करने से मना कर दिया और चली गई मतलब महिलाओं को ढूंढ कर उसका सही उपचार करना अब स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। बिलासपुर शहर में स्वास्थ्य विभाग ने एक अलग से टीम बनाकर सर्वे किया है इस सर्वे के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। इतना ही नहीं संक्रमण से निपटने के लिए सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन का पर्याप्त स्टाफ है जबकि सरकारी अस्पताल में एक भी संक्रमित मरीज या स्वाइन फ्लू के संभावित मरीज तक भर्ती नहीं हैं। इसके ठीक उल्टे निजी अस्पतालों में 30 से अधिक संभावित मरीजों का उपचार हो रहा है जिनके पास उक्त वैक्सीन को पहुंचाया नहीं जा सकता। क्योंकि विभागीय अधिकारी अपने नियम कानून से मजबूर है इनकी मानें तो जब तक मरीज को सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जाएगा तब तक उनको वैक्सीन लगा पाना या स्वाइन फ्लू की दवाइयां उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है यही कारण है कि स्वाइन फ्लू के वैक्सीन की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है जहां 15 से लेकर ₹35 सौ तक में मिलते हैं वहीं अब ये दवाएं 7 से ₹8 हजार में बिक रहे हैं। दूसरी तरफ स्वाइन फ्लू के संभावित मरीजों की जांच रिपोर्ट आने में भी काफी ज्यादा समय लगता है । क्योंकि इस वक्त केवल रायपुर और जगदलपुर में स्वाइन फ्लू की जांच हो रही है। उदाहरण के लिए अगर किसी स्वाइन फ्लू के संक्रमित मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो कम से कम 2 से 3 दिन के बाद ही रिपोर्ट मिल पाएगी और तब तक मरीज अपनी जान से हाथ धो सकता है। लेकिन सरकारी विभाग और प्रशासन को शायद इसकी परवाह नहीं है यही कारण है कि स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट की स्थिति होने के बावजूद सरकारी तंत्र अपने लचर व्यवस्था से ही काम करने में मशगूल है।

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